Thursday 23 October, 2008

गर्लफ्रेंड दिला रही हैं सक्सेस



यह माना जाता है कि आगे बढ़ने के लिए लड़कियां लड़कों का सहारा लेती हैं। हालांकि आजकल अपोजिट ट्रेंड नजर आ रहा है। अब लड़के भी लड़कियों का हाथ थाम कर सफलता की राह पर आगे बढ़ने लगे हैं। यानी लड़कों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में लड़कियां उनकी पूरी मदद कर रही हैं :
इन दिनों पूरी दुनिया में छाई आर्थिक मंदी की वजह से ज्यादातर कंपनियां कॉस्ट कटिंग में बिजी हैं। ऐसे में आदित्य की कंपनी कैसे अछूती रह सकती थी। मंदी का असर उसकी कंपनी पर भी पड़ा और कॉस्ट कटिंग के प्रोसेस के दौरान दूसरे ट्रेनी इंजीनियर्स के साथ आदित्य को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। लोन लेकर पढ़ाई पूरी करने वाले आदित्य की समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे। ऐसे में उसकी गर्लफ्रेंड सुमन ने उसकी पूरी मदद की। एक मल्टीनैशनल कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट में इग्जेक्युटिव सुमन ने आदित्य को हिम्मत बंधाई। उसने अपने लेवल पर न सिर्फ आदित्य का रिज्यूमे कई जगह फॉरवर्ड किया, बल्कि मार्केट के कई सीनियर लोगों से भी बात की। यह मार्केट में सुमन की अच्छी जान-पहचान का ही कमाल था कि आदित्य को कुछ समय में अच्छी जॉब मिल गई।
ज्यादा दिनों की बात नहीं है, जब कहा जाता था कि लड़कियां नौकरी या दूसरे कामों के लिए लड़कों का सहारा लेती हैं। लेकिन माडर्न एज में लड़कियां इतनी तेजी से ताकतवर होकर उभरी हैं कि लड़के भी सेटल होने के लिए उनकी मदद लेने लगे हैं। अब इसे खूबसूरत चेहरे का कमाल कहिए या फिर बेबाक अंदाज में बोलने का स्टाइल, लेकिन यह सच है कि लड़कियां अपने बॉस या इंडस्ट्री के सीनियर लोगों को लड़कों के मुकाबले जल्दी प्रभावित कर लेती हैं। इसी वजह से उन्हें बॉयफ्रेंड को सेटल कराने में ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ती।
अगर फिल्म इंडस्ट्री पर नजर डालें, तो यहां भी यह ट्रेंड बदस्तूर जारी है। अभी तक सलमान खान को कई हीरोइनों का करियर संवारने के लिए जाना जाता था, लेकिन अब हीरोज भी हीरोइनों की सहायता से करियर बनाने लगे हैं। क्या आप अभिषेक अवस्थी को जानते हैं? अगर याद नहीं आ रहा, तो अपनी याददाश्त को दोष न दें। अच्छा राखी सावंत के बॉयफ्रेंड से तो आप परिचित होंगे न। अब आपको ध्यान आ गया होगा कि हम किस अभिषेक अवस्थी की बात कर रहे हैं। दरअसल, राखी के नाम के सहारे उन्होंने जो पहचान बनाई, वह उनके नाम के साथ राखी का नाम लिए बिना पूरी ही नहीं होती। कुछ ऐसी कहानी `मॉनसून वेडिंग´ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले रणदीप हुड्डा की भी है। रणदीप नाम सुनते ही सुष्मिता सेन के एक्स बॉयफ्रेंड का ध्यान आता है। सभी मानते हैं कि सुष्मिता ने अपनी पहुँच का प्रयोग करके रणदीप को कई फिल्में दिलवाई थीं।
गोविंदा के भांजे कृष्णा को अपने मामा का सपोर्ट तो मिला, लेकिन बिंदास कश्मीरा के साथ अफेयर ने उन्हें खूब पब्लिसिटी दिलवाई। पिछले साल के रियलिटी शो में दोनों जमकर साथ नाचे और दर्शकों की नजरों में चढ़ गए। उसी की बदौलत अब दोनों को नाम व काम मिल रहा है। इसी तरह लारा दत्ता के मॉडल बॉयफ्रेंड कैली दोरजी को भी लारा के साथ चले लंबे अफेयर की बदौलत मुफ्त की पब्लिसिटी मिल चुकी है। लंबे अफेयर के बावजूद कैली को लारा भले ही नहीं मिलीं, लेकिन इंडस्ट्री में अच्छी-खासी पहचान जरूर मिल गई है। ये नाम एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लोगों की उस लिस्ट के चंद उदाहरण हैं, जो अपनी पहचान से ज्यादा अपनी गर्लफ्रेंड के नाम से जाने जाते हैं।
अब अध्ययन सुमन को ही लीजिए। शेखर सुमन के बेटे अध्ययन ने कुछ समय पहले इंडस्ट्री में कदम रखा है और उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद अध्ययन को किसी ने नोटिस नहीं किया। इसके बाद भट्ट कैंप ने अध्ययन `राज-2´ में कंगना के अपोजिट साइन किया और तब से दोनों के प्यार के चर्चे सभी की जुबां पर हैं। वैसे, अध्ययन से पहले हरमन बावेजा भी प्रियंका चोपड़ा का दामन थामकर लोकप्रियता पा चुके हैं। बता दें कि हरमन को उनके पापा हैरी बावेजा ने `लवस्टोरी 2050´ से लॉन्च किया था। हालांकि फिल्म की पब्लिसिटी में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन लोग उन्हें प्रियंका के बॉयफ्रेंड के तौर पर ज्यादा जानते हैं और इसी पॉपुलैरिटी के आधार पर हरमन को दिलचस्प ऑफर्स भी मिल रहे हैं।
भले ही हर फील्ड में काम कर रही लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड को सेटल करा रही हों, लेकिन कोई भी इस बात को खुलेआम स्वीकार करने को तैयार नहीं है। एक जानी-मानी कंपनी के एचआर हेड कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है कि लड़कियां अपने कॉन्टैक्ट की वजह से अपने बॉयफ्रेंड को नौकरी दिलवा देती हैं। हमारी कंपनी में नौकरी कैंडिडेट की क्वालिफिकेशन और काबिलियत को देखकर दी जाती है। इसके उलट एचआर इग्जेक्युटिव राजेश इस बात से सहमत हैं कि लड़कियां अपने कॉन्टैक्ट्स और पहुँच का इस्तेमाल करके बॉयफ्रेंड को जॉब दिलाने में मदद कर रही हैं। वह कहते हैं कि आजकल कॉम्पटीशन के युग में एक पोस्ट के लिए बहुत सारे लोग योग्यता रखते हैं। ऐसे में वही कामयाब होगा, जिसे अपनी योग्यता दिखाने का मौका मिलेगा। भले ही लड़कियां बॉयफ्रेंड नौकरी ना दिला पाएं, लेकिन उन्हें इंटरव्यू का चांस तो जरूर दिला देती हैं।

Thursday 16 October, 2008

अभी भी रात अँधेरी है!



भले ही आज भारत बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है, लेकिन महिलाओं की हालत में अपेक्षित सुधार नहीं आ पा रहा है। इस तरक्की का एक स्याह चेहरा यह भी है कि हमारे यहां पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर चलने की कोशिश कर रही महिलाओं के लिए रात में काम करने का सुरक्षित माहौल मौजूद नहीं है। और तो और सिलेब्रिटी भी इस डर से अंजान नहीं हैं:

अक्सर गांवों या छोटे शहरों की लड़कियों द्वारा लड़कों की बराबरी करने की कोशिश करने पर उन्हें ताना दिया जाता है, `तू लड़कों की बराबरी कैसे करेगी। क्या तू रात को अकेली घर से बाहर जा सकती है?´ इस तरह उनके मां-बाप और रिश्तेदार लड़कियों पर लगाम लगाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखते। यह तो हुई गांवों और छोटे शहरों की बात। अब सवाल यह उठता है कि क्या बड़े शहरों खासतौर पर मेट्रोज में भी लड़कियों रात को अपने घर से बाहर निकल सकती हैं? क्या वहां नाइट शिफ्ट में काम करने वाली लड़कियां सुरक्षित अपने घर पहुँच पाती हैं।

हाल ही में एसोचैम सोशल डिवेलपमेंट फाउंडेशन द्वारा किए गए एक सर्वे में खुद महिलाओं ने इन सवालों का जवाब दिया है। सर्वे के नतीजों के मुताबिक यह एक कड़वा सच है कि महानगरों में नाइट शिफ्ट में काम करने वाली 53 परसेंट महिलाएं अपने आपको सेफ महसूस नहीं करतीं। इनमें बीपीओ, आईटी, सिविल एविएशन, नर्सिंग होम समेत सभी सेक्टरों में काम करने वाली महिलाएं शामिल हैं। यह सर्वे दिल्ली, मुंबई, चेन्नै, पुणे, बेंगलुरु, हैदराबाद और लुधियाना जैसे बड़े शहरों में किया गया है।

टीवी एक्ट्रेस जसवीर कौर रात को होने वाली छेड़खानी की घटनाओं से बखूबी वाकिफ हैं। वह कहती हैं, `मेरे साथ कई बार इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं, जब बाइक या गाड़ी सवार लड़कों ने मेरा पीछा किया। शुरुआत में मैं इस तरह की घटनाओं से बेहद डर जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे आदत पड़ गई है। हालांकि अब भी रात को मैं काफी सावधानी से सड़क पर निकलती हूँ । मेरी कोशिश रहती है कि मेरे गेटअप से किसी को यह आइडिया ना हो कि इस गाड़ी को कोई लड़की चला रही है। इसके अलावा आखिरी हथियार के रूप में एक खंजर हमेशा मेरे पास रहता है।´

मशहूर फैशन डिजाइनर मंदिरा विर्क महिलाओं के लिए बढ़ते क्राइम से काफी परेशान नजर आती हैं। उन्होंने बताया, `फैशन जैसी ग्लैमरस इंडस्ट्री से जुड़ी होने की वजह से मुझे अक्सर देर रात तक घर से बाहर रहना होता है। कई बार तो मैं अपना स्टोर ही 12 बजे तक बंद करती हूँ । ऐसे में खुद गाड़ी ड्राइव करके घर जाना कतई संभव नहीं है। इसके लिए मैंने ड्राइवर रखा हुआ है, जो मेरे घर में ही रहता है। इसके बावजूद रात को अगर कभी गाड़ी ड्राइव करनी पड़ जाती है, तो मुझे बहुत घबराहट होती है। कई बार लड़कों की गाड़ी और बाइक ने मेरा पीछा किया है। ऐसे में पुलिस बुलाने की बजाय जान बचाकर घर भागना ही बेहतर लगता है। हर वक्त बहुत सारी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं और दिमाग में टेंशन रहती है, लेकिन क्या करें क्राइम के डर से काम बंद करके घर पर नहीं बैठ सकते।´

जानी-मानी न्यूज एंकर नीलम शर्मा इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि रात को महानगरों का माहौल महिलाओं के लिए कतई सुरक्षित नहीं है। वह कहती हैं, `मीडिया जैसे फील्ड में होने की वजह से अक्सर आपको नाइट शिफ्ट करनी पड़ती है या फिर ऑफिस से थोड़ा देर से निकलना होता है। ऐसे में एक महिला का सही-सलामत घर पहुंचना बेहद मुश्किल है। उस पर भी अगर वह अपनी गाड़ी खुद ड्राइव करके घर जाती है, तो बहुत मुश्किलें आती हैं।´ नीलम हाल ही में मौत का शिकार हुई एक अंग्रेजी न्यूज चैनल की पत्रकार सॉम्या विश्वनाथन का जिक्र करते हुए बताती हैं, `मैं भी अपने ऑफिस से कैब नहीं लेती और अपनी गाड़ी खुद ही ड्राइव करती हूँ । ऐसे में कई बार बहुत खराब कंडिशन बन जाती है। कहीं लड़कों की गाडियाँ पीछा करती हैं, तो कहीं रेड लाइट पर खड़े लफंगे परेशान करते हैं। ऐसे में अगर गाड़ी भी खराब हो जाए, तो फिर ऊपर वाला ही मालिक है।´

मुंबई बेस्ड रैंप मॉडल निगार खान अपने शहर की सुरक्षा व्यवस्था से कुछ हद तक संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, `मुंबई की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह शहर कभी सोता नहीं है। ऐसे में अगर आप अपना ख्याल रखना जानती हैं, तो आपको उतनी परेशानी नहीं आएगी। अगर आप अपनी ओर से ही केयर फुल नहीं हैं, तो फिर आपको प्रॉब्लम आ सकती है। मुझे लगता है कि दिल्ली और दूसरे महानगरों के मुकाबले मुंबई में लड़कियों के लिए रात का माहौल सुरक्षित है। हालांकि अपवाद हर जगह मौजूद हैं। वैसे अभी तक मुझे पर्सनली इस तरह की कोई परेशानी नहीं आई।´

पत्रकारिता जगत का जाना-माना नाम मानी जाने वाली वर्तिका नंदा की राय इस मामले में थोड़ा हट कर है। उन्होंने कहा, `मेरा मानना है कि कोई भी क्राइम होने के बाद उस पर रिएक्ट करने का हमारा तरीका सही नहीं है। इस तरह से क्राइम को और बढ़ावा मिलता है। और रही बात लड़कियों के रात को अनसेफ होने की, तो हम सिर्फ रात ही नहीं दिन में भी अनसेफ हैं। दिन में भी बसों में सफर करने वाली लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की जाती है। यही छेड़छाड़ रात को रेप और हत्या जैसे मामलों में बदल जाती है। इससे बचने के लिए पहले हमें दिन की घटनाओं पर रोक लगानी होगी। रात को अकेले ड्राइव करते वक्त कई बार मुझे भी डर लगता है। मुझे पता है कि जो लोग दिन में ही छेड़छाड़ का विरोध नहीं करते, रात को तो वे आपकी चीख को भी अनसुना कर देंगे। महिलाओं को खुद ही सावधानी बरतते हुए अपनी गाड़ी की बजाय ऑफिस की कैब का इस्तेमाल करना चाहिए।´

महिला हितों के लिए काम करने वाले संस्थान सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की डायरेक्टर डॉक्टर रंजना कुमारी का मानना है कि महिलाओं की सुरक्षा के बारे में हम लोग बहुत कुछ बोल चुके हैं और अब उस पर अमल करने की बारी है। यह सच है कि रात को काम करने वाली महिलाएं अपने मन में भय महसूस करती हैं। ऐसे में सरकार और पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि उनके भय को दूर करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। डॉक्टर रंजना अपने पर्सनल एक्सपीरियंस के बारे में बताती हैं, `एक बार मैं बस में आ रही थी, तो उसके कंडक्टर ने ही मेरे साथ बदतमीजी शुरू कर दी। जब मैंने उतरने की कोशिश की, तो उसने बस चलाकर मुझे गिरा दिया। यह तो दिन की घटना है। अब आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि रात को सड़कों पर क्या हाल होता होगा।´

Saturday 11 October, 2008

नशीली मस्ती में डूबे युवा


पार्टियों के शौकीन युवा इन दिनों रेव पार्टीज की ओर खूब आकर्षित हो रहे हैं, जहां उन्हें नशे में डूबकर थिरकने का भरपूर मौका मिलता है। ऐसी पार्टिया मुंबई ,दिल्ली जैसी हैपनिंग जगहों से लेकर पुष्कर जैसी जगहों पर भी हो रही हैं। आइये जानते हैं इन पार्टियों की दुनिया के बारे में:


अंधेरी रात में शहर से दूर स्थित एक फार्म हाउस में तेज आवाज में बजता वेस्टर्न म्यूजिक, चमचमाती लेजर लाइटें, फोग मशीन से लगातार निकलता धुआं और इसके बीच अपनी सुध-बुध खोकर नाचते सैकड़ों नौजवान! इन दिनों युवाओं के लेटेस्ट टशन `रेव पार्टीज´ का नजारा कुछ ऐसा ही होता है। ये लोग फार्महाउसों या नाइट क्लबों में आयोजित होने वाली इन पार्टियों में दुनिया से बेखबर होकर नाचते हैं। जाहिर है, इस मस्ती को शबाब पर लाने के लिए सुरूर का पूरा इंतजाम होता है और शराब व बीयर से आगे बढ़कर यहां ड्रग्स की भी कमी नहीं होती। ऐसी कई पार्टियों में युवाओं को ओपन सेक्स तक करते देखा जा सकता है। दरअसल, ऐसी स्वछंदता को देखते हुए ही इन पार्टियों को रेव कहा जाता है। रेव का मतलब होता है मनमर्जी करने की छूट।

तेजी से बढ़ रहा है चलन
हाल ही में मुंबई के जुहू स्थित एक नाइट क्लब में आयोजित रेव पार्टी से 38 लड़कियों समेत 231 युवाओं को गिरफ्तार किया गया है। इस घटना ने लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहीं रेव पार्टियों को दोबारा चर्चा में ला दिया। गिरफ्तार किए गए इन युवाओं में फिल्म एक्टर शक्ति कपूर के बेटे सिद्धांत कपूर और आदित्य पंचोली की बेटी सना पंचोली भी शामिल हैं। इसके अलावा, पार्टी से ड्रग्स बेचने वाले नौ लोगो को भी गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से चरस, गांजा और नशीली टेबलेट्स मिली हैं। इससे पहले 28 सितम्बर को ही सुबह तीन बजे पुष्कर में भी एक रेव पार्टी पकड़ी गई थी, जहां से 25 विदेशियों समेत 37 लोगों को में गिरफ्तार किया गया। उनके पास से बड़ी मात्रा में ब्राउन शुगर, बीयर और वाइन बरामद हुई। इससे पहले मार्च 2007 में पुणे में भी एक बड़ी रेव पार्टी पकड़ी गई थी। शहर से 30 किलोमीटर दूर आयोजित इस पार्टी से 29 लड़कियों समेत 251 यंग प्रफेशनल्स और स्टूडेंट्स गिरफ्तार किए गए थे। उन लोगों के पास से मारिजुआना और ड्रग्स मिली थीं।

दिल्ली एनसीआर भी हैं चपेट में
राजधानी और आसपास के इलाकों में तेजी से पैर पसार रहे ग्लोबल कल्चर ने यहां के युवाओं को भी रेव पार्टी की ओर आकर्षित किया है। पिछले दिनों फरीदाबाद और गुड़गांव जाने वाले रास्तों पर बने फार्महाउसों में इस तरह की पार्टिया होने की खबरें आई थीं। रिपोर्ट में बताया गया था कि डिस्कोथेक और पब पार्टी से ऊब गए युवाओं ने कुछ नया करने की चाहत में राजधानी से थोड़ी दूर स्थित इन फार्महाउसों को अपना ठिकाना बनाया है। रात जवां होने के साथ ही पुलिस और प्रशासन की नजरों से दूर शुरू होने वाली ये पार्टिया सुबह तक चलती हैं। गुड़गांव पुलिस भी इस तरह की पार्टियों का खुलासा भी कर चुकी है। इन पार्टियों के शौकीन युवा सिर्फ आधा या एक घंटा पहले फार्महाउस के मालिकों से संपर्क करते हैं और पहले से तय साथियों के साथ वहां जा पहुँचते हैं। उसके बाद शुरू होता है रात रंगीन करने का सिलसिला।

इंटरनेट पर फैला है साम्राज्य
अगर आप इंटरनेट पर `रेव पार्टी´ सर्च करते हैं, तो इससे जुड़ी दर्जनों साइट्स खुल जाती हैं। इन साइट्स में रेव पार्टी आयोजित करने से लेकर रेव पार्टी में पहली जानी वाली ड्रेसेज तक के बारे में तमाम तरह की जानकारियां उपलब्ध हैं। राजधानी की एक रेव पार्टी में हिस्सा ले चुके मोहित (बदला हुआ नाम) ने बताया, `आमतौर पर रेव पार्टिया पुलिस के डर से शहर से दूर स्थित फार्महाउसों में आयोजित की जाती हैं। वेन्यू पर माहौल सजाने के लिए डीजे, लाइट के साथ-साथ ड्रग्स और ड्रिंक्स का भी इंतजाम रहता है। आमतौर पर 18 से 25 वर्ष की उम्र के युवाओं को रेव पार्टी में इंवाइट किया जाता है, लेकिन ऐसी पार्टियों में कोई एज लिमिट नहीं है। बस कोशिश यही होती है कि यहां सब कुछ भूलकर सब कुछ करने की चाह रखने वाले लोग ही आएं।´

क्या है पॉपुलैरिटी की वजह
इन पार्टियों में रईसजादों के बच्चे, यंग प्रफेशनल्स और स्टूडेंट्स की बड़ी संख्या में रहते हैं। इसकी वजह के बारे में साइकिएटि्रस्ट डॉक्टर समीर पारिख कहते हैं, `आजकल का युवा ग्लैमर के पीछे भाग रहा है। साथ ही उसमें एक्सपेरिमेंट की करने की चाहत भी तेजी से पनप रही है। ऐसे में खुद को माडर्न दिखाने की चाह में वह इस तरह की पार्टियों में शामिल हो जाता है। मजे-मजे में ड्रग्स आजमाई जाती हैं और फिर वे हमेशा के लिए इन चीजों के गुलाम हो जाते हैं।´ जबकि साइकॉलजिस्ट अरुणा ब्रूटा का मानना है, `आजकल का युवा माडर्न और ग्लैमरस बनने की चाह में गलत रास्ते पर चलने में भी परहेज नहीं करता। यही वजह है कि मस्ती का अड्डा कहलाई जाने वाली ये पार्टिया कई बार फ्रस्ट्रेशन निकालने का रास्ता भी बनती हैं। इन पार्टियों में नशे के दम के बीच खुद को भुलाकर युवा अपना गम गलत करते हैं।´

नई जेनरेशन के नए कायदे
सीएसडीएस से जुड़े समाजशास्त्री अभय कुमार दूबे बदलते लाइफस्टाइल को युवाओं के रेव पार्टीज की ओर आकर्षित होने की वजह मानते हैं। उन्होंने बताया, `ग्लोबलाइजेशन की वजह से आजकल के युवाओं के काम करने के साथ एंजॉय करने का तरीका भी बदल गया है। पहले लोगों के पास काम का ज्यादा दबाव नहीं था, जबकि आज का युवा दिन-रात सिर्फ काम में जुटा हुआ है। मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट के दरवाजों पर अक्सर `वर्क हार्ड एंड पार्टी हार्डर´ लिखा रहता है। यही वजह है कि युवा अब काम के वक्त भरपूर काम और मस्ती के वक्त भरपूर मस्ती को फॉलो करते हैं। मुझे रेव पार्टी में कोई बुराई नजर नहीं आती। बदलते वक्त के साथ हमें अपनी नैतिकता की कसौटी को चेंज करना होगा। अगर हम अभी भी पुरानी नैतिकता का चश्मा लगाए रखेंगे, तो हमें हरेक नौजवान बुरा ही दिखाई देगा।´

संभव है रोक
जाने-माने वकील प्रशांत भूषण कहते हैं, `वैसे तो सरकार की ओर से शराब और म्यूजिक के साथ पार्टी आयोजित करने पर कोई रोक नहीं है। लेकिन ऐसी जगहों पर ड्रग्स जाए जाने पर पार्टी में मौजूद लोगों को ड्रग्स कंट्रोल एक्ट के तहत सजा हो सकती है।´ दिल्ली पुलिस के डीसीपी देवेश श्रीवास्तव ने बताया, `रेव पार्टी में पकड़े गए लोगों को उनके पास मौजूद ड्रग्स की मात्रा के मुताबिक कम या ज्यादा पीरियड की सजा हो सकती है। साथ ही,ड्रग्स का सेवन करने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान है।