Friday 26 September, 2008

अब टैबू नहीं रहा सेक्स


`प्यार हुआ इकरार हुआ है, प्यार से फिर क्यों डरता है दिल.....´ यह सिर्फ 1955 में आई राजकपूर और नरगिस की सुपरहिट फिल्म `श्री 420´ का एक गाना ही नहीं, बल्कि उससे बढ़कर भी बहुत कुछ है। नब्बे के दशक में भारतीय टेलिविजन पर आने वाले गर्भनिरोधक कंडोम `निरोध´ के ऐड को इसी गाने के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता था। यह उस वक्त भारतीय टेलिविजन की नजाकत ही थी कि सिर्फ प्यार से जुड़ा यह गाना सुनाकर ही मान लिया जाता था कि लोग गर्भनिरोधक के बारे में सब कुछ समझ गई होगी। पता नहीं सभी बड़े इसे समझ पाते होंगे या नहीं, लेकिन यह तो तय है कि बच्चे इसे नहीं समझ पाते थे।
जो बच्चे इसे समझ नहीं पाते थे, उन्हें इसे समझने की कोशिश करने का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता था। सॉफ्टवेयर प्रफेशनल मनीष बताते हैं कि उस वक्त मेरी उम्र करीब 10 साल रही होगी, जब टेलिविजन पर निरोध का `प्यार हुआ.....´ वाला ऐड आया करता था। रोजाना ऐड देखने के बावजूद मैं कभी भी यह नहीं पाता था कि यह किस चीज का ऐड है। यहां तक की मेरे दोस्तों को भी इस बारे में जानकारी नहीं थी। ऐड को लेकर मेरी उत्सुकता दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी। एक दिन मैंने हिम्मत करके दादा जी से उसके बारे में पूछ ही लिया। मैंने सोचा था कि दादा जी मुझे उस बारे में जानकारी देंगे, लेकिन यहां तो मामला उलटा पड़ गया। वह छूटते ही मेरे एक उलटे हाथ का तमाचा रसीद करते हुए बोले कि आजकल पढ़ाई-लिखाई में तुम्हारा बिल्कुल मन नहीं रह गया है। चुपचाप जाकर स्कूल का काम पूरा कर लो। उस वक्त मेरा बाल मन यह बिल्कुल नहीं समझ पाया था कि कभी मुझे उंगली भी टच नहीं करने वाले दादा जी ने मुझे इतनी जोर से तमाचा क्यों मारा?´
ऐसा नहीं है कि सिर्फ अकेले मनीष ही इस तरह की घटना के शिकार हुए थे। उस वक्त सेक्स को इतना बड़ा टैबू माना जाता था कि उनकी उम्र के काफी बच्चे इस तरह की परेशानियों के शिकार होते थे। सीए स्टडेंट आदित्य कहते हैं, `मुझे अच्छी तरह याद है कि टेलिविजन पर `प्यार हुआ इकरार हुआ.....´ गाना शुरू होते ही दादा जी मुझको पानी लेने भेज दिया करते थे। हालांकि मैं चोरी छुपे कई बार उस ऐड को देख चुका था, लेकिन उस वक्त यह मेरे लिए बहुत बड़ी प्रॉब्लम यह थी कि आखिर दादा जी को यह गाना शुरू होते ही प्यास क्यों लगती थी?´ रिटायर्ड गारमेंट सर्वेंट मनोहर लाल ने बताया, `यह सच है कि उस वक्त हम लोग या हमारे पैरंट्स बच्चों को निरोध के उस इकलौते ऐड से दूर रखना चाहते थे। दरअसल, हमारे लिए अपने बच्चों को यह समझाना काफी मुश्किल काम था कि निरोध क्या होता है। इसका क्या यूज किया जाता है? इसलिए इस ऐड के आने के वक्त उन्हें कोई बहाना बनाकर या डरा धमका टीवी से दूर कर दिया जाता था।´
उस वक्त के मुकाबले आज जमीन-आसमान का फर्क आ गया है। अब तो टेलिविजन और अखबारों में कॉन्डम के एक से एक उत्तेजक ऐड छाए रहते हैं। फिल्मों में डबल मीनिंग सेंटेंस और हॉट सींस की भरमार है। इसके बावजूद किसी को कोई परेशानी नहीं है। पूरा परिवार एक साथ बैठकर किसी पिक्चर में चल रहे बैडरूम या किस सीन को देखने में कोई परेशानी महसूस नहीं करता। छोटे-छोटे बच्चों को पहले से पता है कि इस सीन में क्या होने वाला है। सीए राजीव बताते हैं, `मैं अपने और छोटे भाई के बच्चों के साथ बैठ कर मूवी देख रहा था। जैसे ही हीरो-हीरोइन एक-दूसरे को किस करने के लिए पास आए, तो मैंने बच्चों की नजरों से बचाने के लिए सीन फॉरवर्ड कर दिया। तभी मेरे 10 साल के लड़के ने पूछा कि पापा इस सीन में क्या हुआ? इससे पहले कि मैं उसे कुछ जवाब दे पाता। मेरे छोटे भाई का 7 साल का लड़का बोल पड़ा कि भैया हीरो ने हीरोइन को किस किया है। उसकी बात सुनकर मैं हैरान रह गया। मैं चाहता था कि बच्चों को इस तरह के सींस से दूर रखूं, लेकिन लगता है कि टेलिविजन के होते ऐसा कभी संभव नहीं है।´
जाने-माने समाजशास्त्री और जेएनयू के प्रोफेसर आनंद कुमार बताते हैं, `यह सूचना क्रांति का ही परिणाम है कि आजकल के बच्चों को परिवार के दायरों के बाहर वाले स्रोतों से सेक्स से जुड़ी जानकारियां मिल रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस वक्त खुद राज्य ने आम लोगों को यौन संबंधों के बारे में जानकारी देने का जिम्मा उठा लिया है। जब सरकार खुद खुलेआम यह प्रचार कर रही है कि कंडोम साथ लेकर चलें, तो दूसरे को क्या कहा जा सकता है। यह भी सच है कि कहीं ना कहीं कमर्शल कंपनियों द्वारा सरकार के इन कदमों का फायदा उठाया जा रहा है। हमें यह भी ख्याल रखना चाहिए कि कहीं हम पश्चिमी देशों की तरह टीनएज प्रेग्नेंसी जैसी परेशानियों का शिकार ना हो जाएं और समस्या सुलझने की बजाय उलझ ना जाएं। गौरतलब है कि इस वक्त अमेरिका के उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और अलास्का प्रांत की गवर्नर सारा पेलिन की 17 वर्षीय अविवाहित बेटी प्रेग्नेंट है।´

कुछ ऐसे बदल रही है फिजा

जो समझा वही सिकंदर
यह बेहद आश्चर्य की बात है कि जिस देश के लोग मेडिकल स्टोर पर कंडोम मांगते हुए शर्माते हैं। वहां `कंडोम...कंडोम....´ रिंगटोन को काफी पसंद किया जा रहा है। पिछले दिनों बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ट्रस्ट ने कंडोम का इस्तेमाल बढ़ाने के लक्ष्य के साथ इस रिंगटोन को तैयार किया है। इस ऐड कैंपेन की कैच लाइन `जो समझा वही सिकंदर´ है। इसके माध्यम से यह दिखाया जाएगा कि जो लोग कंडोम का इस्तेमाल करने और बोलने में घबराते नहीं हैं, वे समझदार होते हैं। हैरानी की बात यह है कि अपने लॉन्च के कुछ ही दिनों में इस रिंगटोन ने नंबर वन लोकप्रिय रिंगटोन की कुर्सी कब्ज़ा ली है।

सेक्स एजुकेशन कोर्स
ज्यादा दिनों की बात नहीं है, जब स्कूलों में सेक्स एजुकेशन कोर्स स्टार्ट करने को लेकर काफी हो-हल्ला हुआ था। इसी वजह से अभी तक स्कूलों में सेक्स एजुकेशन शुरू नहीं हो पाई है। इसके बावजूद हाल ही में ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने जल्द शादी करने जा रहे युवाओं के लिए सेक्स एजुकेशन कोर्स शुरू किया है। इसके रिस्पॉन्स का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक काफी बुजुर्ग इन्सान भी इस कोर्स में एडमिशन में लेने पहुंच गए थे, जिन्हें बड़ी मुश्किल से समझा बुझा कर वापस भेजा गया। इस कोर्स का एक बैच पास आउट हो गया है। इस कोर्स के दौरान उन्हें शादी के बाद सेक्स के दौरान आने वाली परेशानियों के समाधान के बारे में बताया गया है।

फीमेल कंडोम
हमारे देश में अभी भी काफी संख्या में पुरुष कंडोम का यूज करना पसंद नहीं करते। ऐसे में अगर यहां फीमेल कंडोम को सफलता मिल रही है, तो यह आश्चर्य की ही बात होगी। दुनिया भर की महिला कार्यकर्ताओं का मानना है कि फीमेल कंडोम को लोकप्रिय बनाने में ग्लोबल स्तर पर नाकामयाबी हाथ लगी है। लेकिन भारत उन चंद अपवाद देशों में शामिल है, जहां फीमेल कंडोम को 97 परसेंट तक स्वीकार किया गया है। यही वजह है कि फिलहाल काफी महंगे इस फीमेल कंडोम को जल्द ही देशभर में मात्र तीन रुपए में उपलब्ध कराए जाने का प्लान है। ताकि एड्स से बचाव के मिशन पर ज्यादा अच्छी तरह काम किया जा सके।

1 comment:

  1. गुप्त ज्ञान कहते इसे,जीवन का ये रहस्य.
    खुले आम करके किया, बँटाढार रहस्य.
    बंटाढार रहस्य,सनसनी मिट गई सारी.
    रोमाँस-रोमाँच भावना लुट गई सारी.
    कह साधक कवि,काम यहाँ पुरुषार्थ साधना.
    जीवन का ये रहस्य रहा अब गुप्त-ज्ञान ना.
    मो-९९०३०९४५०८

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