Tuesday 5 August, 2008

मेल टीचर्स को बाय-बाय


चिट्ठाजगत


मेल टीचर्स के लिए रोजगार के मौके दिनोंदिन कम होते जा रहे हैं। हाल ही में दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा की सरकार ने फैसला किया है कि गर्ल्स स्कूलों में पचास साल से कम उम्र के मेल गेस्ट टीचर अपनी सेवाएं नहीं दे सकेंगे। कहा जा रहा है कि यह फैसला प्रदेश भर में मेल टीचर्स द्वारा छात्राओं से अभद्र व्यवहार की शिकायत के बाद लिया गया है। साथ ही इस वक्त गर्ल्स स्कूलों में काम कर रहे 50 साल से कम उम्र के मेल गेस्ट टीचर्स को दूसरे स्कूलों में एडजस्ट करने के आदेश दिए गए हैं। गौरतलब है कि राज्य के गर्ल्स स्कूलों में परमानेंट टीचरों की नियुक्त के लिए पहले ही प्रावधान है कि वहां उम्रदराज टीचरों की भती की जाए। लेकिन परमानेंट टीचर्स की कमी की वजह से रखे गए गेस्ट टीचर्स की नियुक्त के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। इसी तरह राजधानी दिल्ली में भी एमसीडी ने पिछले दिनों फैसला सुनाया था कि उसके अंतर्गत चलने वाले सभी गर्ल्स स्कूलों में मेल टीचर्स का ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इसकी वजह भी पुरुष टीचरों द्वारा बच्चियों से अभद्र व्यवहार की शिकायत थी। एमसीडी के पीआरओ वाई. एस. मान ने बताया कि टीचर्स असोसिएशन के ऑब्जेक्शन के बाद इस फैसले को लागू नहीं किया जा सका है। जबकि एमसीडी एजुकेशन डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने बताया कि यह फैसला करीब-करीब लागू किया जा चुका है। मेल टीचर्स को काफी हद तक गर्ल्स स्कूलों से ट्रांसफर कर दिया गया है। जल्द ही सभी गर्ल्स स्कूल पूरी तरह मेल टीचर्स फ्री हो जाएंगे। अब सिर्फ ऐसे ही स्कूल बचे हैं, जहां सुनसान इलाका होने की वजह से फीमेल टीचर्स जाना नहीं चाहती। जाने-माने समाजशास्त्री और जेएनयू के प्रोफेसर आनंद कुमार कहते हैं कि यह विडंबना ही है कि एक टीचर अपनी स्टूडेंट्स से छेड़छाड़ करने लगता है। ऐसी कंडिशन में गर्ल्स स्टूडेंट्स को किसी भी तरह ऐसे वहशियों से बचाना बेहद जरूरी है। हाल ही में एमसीडी स्कूल में हुए एक रेप केस के बाद इस प्रसीजर में और तेजी आ गई है। रेप केस के बाद जागी एमसीडी ने छात्राओं की सुरक्षा के लिए त्वरित कदम उठाने की पहल की है। मसलन स्कूलों की चारदीवारी ऊंची की जाएगी। खास बात यह है कि गर्ल्स स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स पर अविश्वास व्यक्त करने वाली एमसीडी छात्राओं की सुरक्षा के लिए प्राइवेट सिक्युरिटी गार्ड रखने का प्लान बना रही है। सूत्र बताते हैं कि इस प्लान पर जोर-शोर से काम चल रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या प्राइवेट सिक्युरिटी गार्ड छात्राओं को पढ़ाने वाले टीचर्स से ज्यादा विश्वासपात्र हैं? आनंद कुमार कहते हैं कि प्राइवेट सिक्युरिटी रखने की नौबत ही क्यों आती है। बाहरी लोगों की इतनी हिम्मत कैसे पड़ गई कि वे किसी स्कूल में घुस कर रेप जैसे घृणित कार्य को अंजाम देने के बाद भाग जाएं। उस वक्त उस इलाके का थानेदार क्या कर रहा है। क्या दिल्ली की पुलिस सिर्फ नेताओं की चमचागिरी करने के लिए है। इस तरह की घटनाओं के लिए उस इलाके की पुलिस को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए। एमसीडी के नए प्लान के तहत ट्रांसफर किए गए एक मेल टीचर बताते हैं कि यह एमसीडी द्वारा अपनी नाकामी छुपाने के लिए उठाया गया कदम है। अगर एक-दो टीचरों ने इस तरह की गलत की है, तो उसकी सजा आप सभी टीचर्स को नहीं दे सकते। वैसे भी इस फैसले को लागू करने में प्रैक्टिकल प्रॉब्लम आ रही हैं। आखिर एमसीडी इतनी सारी फीमेल टीचर्स कहां से लाएगी। अगर बिना जबर्दस्ती इस फैसले को लागू किया जाएगा, तो गर्ल्स स्कूलों में टीचरों की कमी पड़ पाएगी। आनंद कुमार कहते हैं कि गर्ल्स स्कूलों में मेल टीचर्स बैन करने से पहले आवश्यक कदम उठाने जरूरी हैं। अगर आपके पास टीचर्स की कमी है, तो यह बात पहले सोचनी चाहिए थी। अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है। बी.एड. पास हजारों लड़कियां नौकरी की तलाश कर रही हैं। उन्हें मौका देकर महिला टीचर्स की कमी को पूरा किया जा सकता है। अब देखना यह है कि महिला स्कूलों को पुरुष टीचरों से मुक्त करने के बाद भी गर्ल्स स्टूडेंट्स की परेशानियां दूर हो पाती हैं या नहीं!

2 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  2. "पुरुषों के हक की लड़ाई लड़ने वाले आपके जैसे दिलेर को मेरा कोटि-कोटि धन्यवाद। आपके जैसे बहादुर पत्रकार हम पुरुषों के लिए आवाज बुलंद करते हों तो इससे सौभाग्य की बात और क्या होगी।" जैन जी यह कमेंट आपके अखबार के एक पाठक ने मझे दी है और कहा कि अगर संभव हो सके तो आप तक उसकी आवाज पहुंचा दूं। आपने जो पुरुष समाज के हितों की रक्षा के लिए जो आलेख लिखा है, वह वास्तव में महिलाओं के प्रति घड़ियाली नजरिए अपनाने वाले लोगों की आंखे खोलने के लिए काफी है। आपके इस प्रभावशाली आलेख के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। एक बात और ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है।

    आपका
    पवन कुमार सिन्हा

    ReplyDelete