एक सज्जन अपना स्कूटर सड़क किनारे स्थित मेडिकल स्टोर के बाहर खड़ा करके अपनी बीमार बीवी के लिए दवाई लेने के लिए दुकान में गए। थोड़ी देर बाद बाहर निकल कर देखते हैं, तो उनका स्कूटर अपनी जगह से गायब है। जाहिर है की यह नजारा देखते ही पहले ही बीवी की बीमारी से परेशान उन सज्जन ने चिल्लाना शुरू कर दिया। शोर सुनकर मेडिकल स्टोर वाला बाहर आ गया और आस-पास के कुछ और लोग भी आ गए। तब उन सज्जन ने अपना स्कूटर गायब होने की बात बताई। उन्हें चिल्लाता देख सामने पान की दुकान वाले ने बताया कि आपका स्कूटर ट्रैफिक पुलिस की बिना पार्किंग के खड़े वाहन उठाने वाली गाड़ी ले गई है। यह सुन कर सभी लोग सड़क पर आ गए। वाकई सामने उन सज्जन का स्कूटर और दूसरे वाहनों के साथ ट्रैफिक पुलिस की गाड़ी पर लदा हुआ जा रहा है। बस फिर क्या था, उन सज्जन ने आव देखा ना ताव और रोको-रोको चिल्लाते हुए उस गाड़ी के पीछे बेतहाशा दौड़ लगानी शुरू कर दी। बेहद घबराए हुए उन सज्जन के हाथ में एक्सरे की रिपोर्ट और दवाइयों की थैली भी लहरा रही थी। वह तो शुक्र था कि उनकी ऐसी हालत देखकर एक मोटरसाइकल सवार को तरस आ गया और उसने उन सज्जन को उनका स्कूटर ले जा रही गाड़ी के आगे ले जाकर खड़ा कर दिया। नहीं तो वह सज्जन भागते-भागते बेहाल हो गए होते। इस तरह वह सज्जन अपने स्कूटर के पास पहुंचे और उन्होंने पुलिस को `नजराना´ चढ़ा कर उसे वापस लिया। यह नजारा पिछले दिनों विकास मार्ग पर नजर आया। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस अक्सर इस तरह की कवायद करती रहती है। पार्किंग के लिए जगह कम होने की वजह से कई बार आम आदमी भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। भले ही उन्होंने किसी दुकान से कुछ सामान खरीदने के लिए कुछ ही देर को अपना वाहन बाहर खड़ा किया हो। जबकि कई बार सड़क के किनारे बेतरतीब खड़े वाहनों को भी छोड़ दिया जाता है। माना की यह कवायद लोगों की सहूलियतों के लिए ही की जाती है, लेकिन इस तरह शरीफ आदमी को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि अपनी बीवी की दवाई खरीदने आए उस आदमी को बिना बात कितनी परेशानी उठानी पड़ी होगी। ऊपर से `नजराना´ देना पड़ा सो अलग।
धन्य है दिल्ली की ट्रैफिक पुलिस! भले ही बेतरतीब खड़े वाहनों की वजह से लगे जाम में फंसे, धूप से तमतमाए लोगों को कुछ राहत पहुंचाए या ना पहुंचाए,लेकिन पार्किंग अरेंजमेंट बिल्कुल दुरुस्त रखती है।
Wednesday, 6 August 2008
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